शिखा शर्मा, कक्षा 12
उगते सूरज को देख–देख मन मे मेरे यों आता है,
कि इस सूरज की तरह मुझे भी दुनिया को रोशन करना है ।
सपने देखे बहुत हैं मैने, अब सच्चाई मे गढ़ना है,
जीवन में आगे बढ़ना है, जीवन मे आगे बढ़ना है ।
मॉ–बाप ने किया बहुत कुछ, त्याग दिए अपने सारे सुख,
उनके सीने को चौड़ा करके, जीवन में खुशियॉ भरना है ।
जो प्यार दिया उन्होंने मुझको, उस प्यार को दुगुना करना है,
जीवन में आगे बढ़ना है, जीवन में आगे बढ़ना है।
उठ रही है उमंगें, कुछ करने को सब के लिए ,
उठती हुई उमंगों को हृदय–सागर में भरना है ।
मन विचलित न हो कभी, मन एकाग्र लक्ष्य पर करना है,
जीवन में आगे बढ़ना है, जीवन में आगे बढ़ना है।
मन उस मॉझी को ढूँढ़ रहा जो जीवन–नैया को पार करे ,
मिलकर उस नाविक के साथ मुझे मेहनत में रंग भरना है ।
केन्द्रीय विद्यालय ओ ई एफ हजरतपुर, फिरोजाबाद ।