Saturday, November 17, 2007

जीवन मे आगे बढ़ना है

शिखा शर्मा, कक्षा 12

उगते सूरज को देख–देख मन मे मेरे यों आता है,
कि इस सूरज की तरह मुझे भी दुनिया को रोशन करना है ।
सपने देखे बहुत हैं मैने, अब सच्चाई मे गढ़ना है,
जीवन में आगे बढ़ना है, जीवन मे आगे बढ़ना है ।

मॉ–बाप ने किया बहुत कुछ, त्याग दिए अपने सारे सुख,
उनके सीने को चौड़ा करके, जीवन में खुशियॉ भरना है ।
जो प्यार दिया उन्होंने मुझको, उस प्यार को दुगुना करना है,
जीवन में आगे बढ़ना है, जीवन में आगे बढ़ना है।

उठ रही है उमंगें, कुछ करने को सब के लिए ,
उठती हुई उमंगों को हृदय–सागर में भरना है ।
मन विचलित न हो कभी, मन एकाग्र लक्ष्य पर करना है,
जीवन में आगे बढ़ना है, जीवन में आगे बढ़ना है।
मन उस मॉझी को ढूँढ़ रहा जो जीवन–नैया को पार करे ,
मिलकर उस नाविक के साथ मुझे मेहनत में रंग भरना है ।

केन्द्रीय विद्यालय ओ ई एफ हजरतपुर, फिरोजाबाद ।