Friday, January 11, 2008

लेखक से मिलिए’’

















दीप प्रज्वलन-अध्यक्षा महिला कल्याण समितिश्रीमती वी उक़बा

अध्ययन
कर अधिक से अधिक संख्या में विद्यार्थी लेखन से जुड़ें : क्षमा शर्मा

श्रीमती क्षमा शर्मा

श्री द्विजेन्द्र कुमार

· रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ प्राचार्य
श्रीमती सुरेखा पाणंदीकर
श्रीमती उक़बा

केन्द्रीय विद्यालय हजरतपुर में नेशनल बुक ट्रस्ट दिल्ली द्वारा आयोजित ‘‘लेखक से मिलिए’’ कार्यक्रम में विद्यालय के छात्र–छात्राओं ने देश के जाने–माने लेखकों- श्रीमती क्षमा शर्मा–कार्यकारी संपादक नंदन, श्रीमती सुरेखा पाणंदीकर एवं द्विजेन्द्र कुमार सम्पादकीय सहायक ‘पाठक मंच बुलेटिन’ से उनकी लेखन प्रक्रिया, उपब्धियों एवं उनकी रचनाओं के बारे में अनेक प्रश्न पूछकर अपनी ज्ञान -पिपासा को शान्त किया। एक छात्र के प्रश्न के उत्तर में श्रीमती सुरेखा पाणंदीकर ने कहा कि जीवन की छोटी से घटना भी कभी–कभी कहानी बन जाती है, जो कि बाद में पुस्तक के रूप में पाठकों के सामने आती है। अपनी पुस्तक ‘चिटकू’ का उदाहरण देकर उन्होने अपने कथन को प्रमाणित किया। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्रीमती सुरेखा ने बताया कि उनकी पुस्तक ‘सहेली’ की प्रेरणा उन्हें राजस्थान यात्रा के समय एक बालिका के चरित्र से मिली। श्रीमती सुरेखा पाणंदीकर को हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारतेन्दु पुरस्कार तथा एशियन कल्चरल सोसाइटी द्वारा भी सम्मानित किया गया हैं।






· विमर्श –छात्रों द्वारा



श्रीमती क्षमा शर्मा के मतानुसार छोटे शहरों में आज भी लड़कियों के लिए उन्नति के पर्याप्त अवसर नहीं हैं इसकी तुलना में महानगरों में लड़कियों के लिये ज्यादा अवसर हैं। अपने संघर्षमय जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि व्यक्ति में अगर साहस है तो वह विपरीत परिस्थितियों में भी बड़ा कार्य कर सकता है।
अपने विगत तीन दशकों में लेखन फिल्म, दूरदर्शन आदि पर अपनी प्रतिभा दिखा चुकी श्रीमती क्षमा शर्मा देश के कई‍र् प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं- जैसे हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चन्द पुरस्कार आदि।
क्या इलैक्ट्रानिक मीडिया के कारण देश की कई प्रतिष्ठित साहित्यक पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हुआ है? प्रश्न के उत्तर में श्रीमती शर्मा ने कहा इसके लिये इलैक्ट्रानिक मीडिया को दोष देना गलत है इसका वास्तविक कारण पाठक की रूचि में परिवर्तन है, वास्तव में तो इलैक्ट्रानिक मीडिया ने प्रिंट मीडिया को फायदा पहुँचाया है ।अपने कथन को प्रमाणित करने के लिये उन्होने भीष्म साहनी के उपन्यास, तमस का उदाहरण दिया। जिसके टी.वी. पर प्रसारित होने पर इस उपन्यास की माँग बढ़ी।
श्रीमती क्षमा शर्मा, द्विजेन्द्र कुमार एवं श्रीमती सुरेखा पाणंदीकर ने सभी छात्र–छात्राओं का आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक संख्या में लेखन से जुड़ें।
श्रीमती सुरेखा एवं श्रीमती क्षमा शर्मा ने बच्चों के साथ मिलकर किताबों की दुनिया, हमारी ये दुनिया..........आशु कविता की रचना की।
कार्यक्रम का प्रारम्भ श्रीमती क्षमा शर्मा एवं कार्यक्रम की अध्यक्षा श्रीमती वेरोनिका उक़बा अध्यक्ष महिला कल्याण समिति ओ.ई.एफ. हजरतपुर द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण द्वारा हुआ।
आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए केन्द्रीय विद्यालय ओ.ई.एफ. हजरतपुर के प्राचार्य रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ ने विश्वास व्यक्त किया कि नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम से विद्यालय के छात्र–छात्राओं में लेखन के प्रति रूचि बढ़ेगी तथा लेखकों से विभिन्न प्रश्नों पर प्रश्न कर वे उनका यथोचित उत्तर पा सकेंगे। प्रश्न मंच कार्यक्रम में विद्यालय के–कु. पल्लवी दीक्षित, कु. पूजा गौतम, सोनाली सिंह, शालिनी, कु. सुलेखा, आदित्य राणा, मनीष गौतम, नीरज पांडे, कु. भूमिका शर्मा, ऋचा भारती, अजीत सिंह, गजेन्द्र यादव, शेखर सुमन पांडे ने भाग लिया। कार्यक्रम के अन्त में प्रश्नकर्ता सभी छात्रों को पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन ऋषि कुमार शर्मा पुस्तकालय अध्यक्ष ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन चन्द्र देव राम उप प्राचार्य द्वारा किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में डा0 रेखा, श्रीमती गीता प्रकाश, श्रीमती सुदेश दत्त शर्मा, अखिलेश गोस्वामी, रवि मोहन
एवं रवि शंकर ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।

श्रीमती क्षमा शर्मा
श्रीमती सुरेखा पाणंदीकर